
हसदेव जंगल बचाओ अभियान: विकास की अंधी दौड़ से पर्यावरण को पहुंचने वाली क्षति को लेकर सरकारें अभी भी लापरवाह ही नजर आ रहे हैं. छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल कटाई का मामला भी कुछ ऐसा ही है. जंगल कटाई से क्षेत्र को होने वाले भयंकर नुकसान को ध्यान में रखते हुए लोगों ने विरोध में पद यात्रा निकाली. जिला मुख्यालय पर पहुंच कर लोगों ने इससे होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया.
बढ़ते शहरीकरण के बावजूद भारत में अभी भी विशाल वन क्षेत्र शेष है। इन्हीं में से एक है छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का जंगल- हसदेव। हसदेव को मध्य भारत का फेफड़ा भी कहा जाता है जिसे इसके पारिस्थितिक महत्व से देखा जा सकता है।
यह वन क्षेत्र हसदेव नदी के तट पर एक लाख 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके अंचल में गोंड और अन्य विभिन्न जनजातियों के लगभग 10 हजार आदिवासी रहते हैं। इन लोगों की आजीविका औषधीय पौधों और अन्य वन संसाधनों पर आधारित है, पर पिछले कुछ सालों में हसदेव का जंगल सुर्खियों में है। वजह है कोयला खदानों के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और इस विनाशलीला को रोकने की मांग को लेकर चल रहा जन आंदोलन।
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Sharkar ko enshan ki pariah nahi to janwar kika hogi shif Adani or Ambani ko karne chinta hai