June 17, 2025

35 thoughts on “जिसे स्कूल प्रोजेक्ट मानकर नकार देते हैं, वही कर रहा उत्तराखंड को बर्बाद ! Uttarakhand

  1. उत्तराखंड के निवासी विशेष कर पहाड़ी अपनी जमीन भूमि गांव छोड़कर नीचे प्लेन में जाकर बस रहे हैं और मुस्लिम समुदाय के लोग यहां पहाड़ पर आकर व्यवसाय करके खूब फल फूल रहे हैं
    एक दिन ऐसा आएगा जब उत्तराखंड भी कश्मीर बन जायेगा और पहाड़ी हिंदूओं को भी जो बचे हुए हैं पहाड़ में
    कश्मीरी पंडितों की तरह प्रताड़ित होकर उत्तराखंड से भागना पड़ेगा।
    अभी भी वक्त है मत छोड़ो अपनी जल जंगल जमीन
    लड़ो अपने पहाड़ के लिए पहाड़ी व्यवसाय के लिए
    जय भारत जय उत्तराखंड

  2. महोदय जलवायु परिवर्तन का एक बहुत बड़ा कारण मांस खाना भी तो है। उसको तैयार करने के लिए पानी काटने के लिए पानी साफ करने के लिए पानी। और उनके लिए अलग से फसल उगने के लिए पानी। यहां लोगों को पानी पीने के लिए मिलना मुश्किल होता जा रहा है। जबकि कही ज्यादा पानी इसके लिए ही उपयोग हो रहा है। और हमलोग अपने खाने के लिए जानवरों को अप्राकृतिक तरीके से पैदा भी कर रहे है। ये भी तो प्रकृति से छेड़ छाड़ ही है। ना कि सिर्फ पलास्टिक फैलाना ही मात्र। पहले लोगों की आवश्यकता हो सकती थी परंतु आज कल ये फ़ैशन होगया है। और बढ़ता ही जा रहा है।😢

  3. जब पहाड़ी लोग मैदानी इलाकों में बस सकते हैं तो मैदानी लोग पहाड़ी इलाकों में क्यों नहीं बस सकते ?

    अंधभक्ति छोड़ो और इंसान बनो नहीं तो यूं ही बर्बाद हो जाओगे!

  4. Jitni nautanki is desh me hai utni kahin nhi hogi are har state ko alag alag desh bna do sabko thandak ho jayegi .sabke sab fikhava krte hai india india ka kisi ko nhi pdi

  5. Uttrakhand ki barbadi ka sabse bada Karan utarkhanad. Sarkar Hai jisne na to Gau mai hospital banwaya hai na school na koye rojgaar agar log khati bhi Kare to bhi bander nuksan karte hai gau se bander bhaagne ka hi kam hi logo ko de dete jab subidha hi nahi hogi to log kay kare Sarkar haldwani or dehradun se chalye ja Rahi hai to subidha bhi vahi ke logo ko Mel rahi hai is liye log Waha jakar bas rahe hai gau ke ilaake se Sarkar chalye. Jay to kuch bhala ho gou ke school khali pade hai gharo mai tale Lage hai ye dekh kar uttarakhand Sarkar ko saram nahi aati hai upar se ped katey hai jagal khatam kar rahe hai upar se jagal mai Aag laga dety hai sarkar un logo per karwai Kyu nahi karte hai jo log uttarakhand se bahar ja kar bas gaye hai unka rikod apne paas rkhe or un logo ko uttarakhand ane ko kaha jayeor uttrakhand ke logo ko bhi apne ladke ki sadi Shahar mein na Kare

  6. पहाड़ों में चकबंदी होने से ही पहाड़ का अस्तित्व बचाया जा सकता है।

  7. सर बहुत खतरनाक हो रहा है। यहां के भोले-भाले लोगों को पता नहीं है कि कुछ लोग, जिनके पास बहुत पैसा है, मतलब बहुत… वो लोग जमीन तो छोड़ो, लोगों का ईमान भी खरीद लेंगे।

  8. आप पहाड़ों की बहुत अच्छी समाचार सुनाते हैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद

  9. जनता ने दलों को सता सोंपने पर कभी विचार नही किया कि हम सही कर भी रहे कि नही, जनता ने कभी नही सोचा कि हमें आंख बनद करके दलों व सरकार की समीक्षा करने के लिए अपना जनसदन होना चाहिए, जनता को यह ख्याल नही आ रहा है कि षड्यंत्रकारी आजादी के बाद ही जनता को जनसदनों/ ग्रामसभाओं की भंग क्यों किया गया था जो यथावत है असल में उतरांचल ही नही पूरे देश की यही स्थिति है कि अत्यंत सीमित जनसंख्या वाले एक विश्व सता के आकांक्षी लुटेरे समूह के विश्व आदेश के तहत विश्व सता के घटक अंग्रेजों ने अपने देशद्रोही मित्रों गांधी, नेहरु कांग्रेस कांग्रेस , रास्वसेसंघ व कम्युनिष्ट दलों को तैयार करके सत्ता के समझोते देश की ब्यवस्था का संचालन वैश्विक संधियों के तहत करना व एक विश्व सता की सरकार के लिए आम जनसंख्या घटाने के लिए‌ स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने के लिए जनता को आजादी के बहाने बरगलाने के लिए अपने विरुद्ध अहिंसक आन्दोलन चलवा कर जनता को पक्ष में लेकर स्वतंत्र भारत सरकार आजाद हिन्द फौज को कुचलकर विश्व आदेश के तहत अपने उपनिवेशिक वैश्विक साम्राज्यवादी ब्यवस्था की सरकार को सता के यथावत सोंपा है जिससे कथित आजादी के बाद ही निरंकुश मनमाने शासन के लिए जनता के जनसदनों को भंग करके अवैध मतदान प्रकृया से सभी सदन दलों के ही प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित हो गये हैं और जनता सता से बाहर खेकर / गुलाम हो गये हैं इसीलिए लिए अब विश्व आदेश के तहत खेकरों /फालतू जनता को जंगली उज्याड्या जानवरों की तरह माना जा रहा और अनेकों प्रकार के षड्यंत्रों से हटाया जा रहा है रहा है को इसीलिए सभी प्रकार की विकृतियां फैलाई गयी फैऋआई जा रही है षड्यंत्रकारी आजादी के बाद ग्रामसभाओं को भंग करके विकास के बहाने अनेकों प्रकार के रसायनिक खादों से जमीन बर्बाद किया गया विकास के बीजों से प्राकृतिक बीजों को खत्म किया गया सभी उद्यमों को विदेशी कम्पनियों को सोंपा गया अनेकों परियोजनाओं को कमपनियों को सोंप कर उतराखण्ड व देश को खतरा बना कर जनता को अनेकों प्रकार से बर्बाद करके बेघर किया गया और अब समूल विनाश की पूर्णाहुति आधार कार्ड,अपार आईडी, छद्मी महामारी/ बीमारियों से सुरक्षा के बहाने विषाक्त टीके , हार्प तकनीक से मौसमी विकृतियां, डिजिटल मुद्रा, डिजिटल चिप भी लगेगी व एआई रोबोटिक तैयार की जा रही है जिससे जनता को सभी कामों से मुक्त किया जाएगा जनता के पास अपना कुछ नही होगा लेकिन जब तक जनता चुपचाप रहेंगे पालतू लैकिन खुश रहेंगे बल ।
    यही है विकास के बहाने व सबका साथ सबका विकास के अन्दर ही छिपा है, पनप रहा है सबका विनाश ।

    जनता इस षड्यंत्रकारी आदमखोर गौहत्यारी सनातन धर्म विनाशक दानवी अत्यंत सीमित जनसंख्या वाले एक विश्व सता के घटक अंग्रेजों के उपनिवेशिक वैश्विक साम्राज्यवादी ब्यवस्था की उतराधिकारी सरकार व देशद्रोही दलों के षड्यंत्रों से बेखबर है इसीलिए सभी प्रकार की विकृतियां फैली हुई हैं

  10. Uk me pichle 50_saalon me kitne mango ke or baaki fal frut ke ped jangalon me lagaye sarkaar ne. Jo bujurgon ne lagaye they uske fal Abhi tak log kha rahe he. Age ki Pedhiyan kya khayenge.

  11. Uttrakhand me bahot hi khau log baithe hue hai..pradhan se milkar kheti ki zameen or jungle ko kaat k bech rahe hain…hamare ghar k pass kai 100 saal purana aam ka ped katwa diya..koi poochhe wala koi nahi..kisi ko padhi b nai hai

  12. पहाड़ी चाहे कितने भी बहाने बना ले पहाड़ों में ना रहने के लेकिन बांग्लादेशी रोहिंग्या और नेपाली सदैव तैयार है उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने के लिए ज्यादातर नेपाली उत्तराखंड में अच्छा पैसा कमा रहे हैं मेहनत करके

  13. भाई सबसे बड़ा समाधान ये है कि सरकार को चाहिए कि ये जो बड़े बड़े हाइवेज बनाए जाते है उसका फायदा किसे होता है व्यापारी को नहीं टूरिज्म को बढ़ाने के लिए।जब लोग रहा कार्बन एमिशन करते है तो सोचते ही नहीं।बस सुविधाएं शहरों की चाहिए और गांव में रहना नहीं है तो यह कौन रहेगा

  14. केवल इसका निस्तारण चकबंदी ही है सरकार को जबरदस्ती चकबंदी लागू करनाही होगा

  15. यूके में सिस्टम के मूल निवास प्रमाण पत्र के नियमों में पूरा झोल है ! और जो गलत हो रहा है वो ये कभी नहीं रोक पाए।

  16. दुल्हनों की 2 सख्त डिमांड हैँ 1. देहरादून मेँ मकान या प्लाट और सरकारी नौकरी व कभी कभार गांव आने के लिए गाड़ी। पलायन की शुरुआत यहीं से हों रही हैं।

  17. Don't you think….the reason is over population…..har nadi nala pahad … jungle kaat ke…. encroachment hua…aur roj gaari….ithane karod ko kaha se hoga. Root cause is population and greed of humanity dis respect towards nature

  18. Jiska mun chahta hai woh muh uthakar Uttarakhand aakar yahan bus rjaata . Isliye yahan hinsa aur maar peet , galee galauj aam baat ho gayee hai.. Naye naye makan buna rahe hain aur development kay naam par hum muul niwaseee haashiye par kharay ho gaye hain. Bahar walaun ko 250 guj jameen khareednay per bhee rokelugnee chahiye.

  19. Per mere gaon mai toh bahut jyada barish ho rahi hai loh shahar rojgaar ke liye aur bachhon ko padhane ke liye jate hai mainly in dono koi sudhar sakta hai toh sudhar lo 😊❤❤❤ Love uttrakhand lambgaon

  20. Jis samaaj ki ladkiyan bahar jaakar wahi ka ladka pasand kar leti h par ladke ko us state ki ladki nhi milti wo shadi ke liye pahad ki ladkiyon par nirbhar h wo samaaj kaha se bachega 😂😂😂

  21. ये सब जलवायु परिवर्तन के कारण हे इसका जिम्मेदार ओर कोई नहीं हम खुद हे 😊

  22. मैं दिल्ली में ही बचपन से रहा हूँ। माता-पिता को पहाड़ छोड़े हुए 30 साल से ज़्यादा हो गए हैं… लेकिन कहीं न कहीं दिल्ली का प्रदूषण, भीड़-भाड़ और अपनी उत्तराखंड की संस्कृति को और अच्छे से जानने की चाह मुझे उत्तराखंड की ओर खींचती है। मैं अपने गांव रुद्रप्रयाग नहीं तो कम से कम देहरादून या ऋषिकेश शिफ्ट होना चाहता हूँ — जो गांव के करीब हो — जिसे मैं कभी सही से जान ही नहीं पाया।

    लेकिन मेरे घरवाले अब उत्तराखंड वापस जाना ही नहीं चाहते, ख़ासकर अपने गांव। अब वो शहर की धूल में ही खुश हैं। शायद अब उन्हें गांव लौटना अपनी नाकामी लगता है, और शहर में रहना एक झूठी शान और ये सोच सिर्फ़ उनकी नहीं औरों की भी है जैसे उत्तराखंड की लड़कियां अब दिल्ली में शादी करके आना चाहती हैं या फिर देहरादून जैसे शहरों में ही बसना चाहती हैं।

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